किस रोग में कौन सा रस लेंगे? - Ayurveda Tips



किस रोग में कौन सा रस लेंगे?
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भूख लगाने के हेतुः प्रातःकाल खाली पेट नींबू का पानी पियें। खाने
से पहले अदरक का कचूमर सैंधव नमक के साथ लें।
रक्तशुद्धिः नींबू, गाजर, गोभी, चुकन्दर, पालक, सेव, तुलसी, नीम
और बेल के पत्तों का रस।
दमाः लहसुन, अदरक, तुलसी, चुकन्दर, गोभी, गाजर,
मीठी द्राक्ष का रस, भाजी का सूप अथवा मूँग का सूप और
बकरी का शुद्ध दूध लाभदायक है। घी, तेल, मक्खन वर्जित है।
उच्च रक्तचापः गाजर, अंगूर, मोसम्मी और ज्वारों का रस।

 

Hindu History





हिन्दू धर्म का इतिहास अति प्राचीन है। इस धर्म को वेदकाल
से भी पूर्व का माना जाता है, क्योंकि वैदिक काल और
वेदों की रचना का काल अलग-अलग माना जाता है।
यहां शताब्दियों से मौखिक परंपरा चलती रही, जिसके
द्वारा इसका इतिहास व ग्रन्थ आगे बढ़ते रहे। उसके बाद इसे
लिपिबद्ध करने का काल भी बहुत लंबा रहा है। हिन्दू धर्म के
सर्वपूज्य ग्रन्थ हैं वेद। वेदों की रचना किसी एक काल में
नहीं हुई। विद्वानों ने वेदों के रचनाकाल का आरंभ ४५०० ई.पू. से
माना है।
 

Vedas - वेद - 1. ऋग्वेद 2. यजुर्वेद 3. सामवेद 4. अथर्ववेद।



वेद शब्द संस्कृत भाषा के चार "विद्" और एक "विद्लृ" धातुओं
से बना है। जिनका अर्थ हैं- विद सत्तायाम् - (सत्तार्थ)
होना; विद विचारे - विचार करना; विद ज्ञाने - ज्ञान करना,
जानना; विद चेतनाख्याननिवासेषु - प्रेरणा देना, खोलकर
बताना तथा जीवन का आधार होना; विद्लृ लाभे - प्राप्त
करना इत्यादि। इन सब का संयोग से पदार्थ बनेगा - परमाणु से
लेकर परमात्मा तक सब सत्ताओं का विचारपूर्वक